यू सवालों के कटघरे मे,
परखा नहीं जाता, एहसास
उनकी सिर्फ़…
“आह “ भरना ही…
बैगुनाही, बेयाँ कर गयीं !
#एहसास_ए_दीपा
अंजान शहर, अपना-सा लगता हैं
बेगानों मे रहना, अच्छा लगता हैं
वाह ! रे ! ज़िंदगी ! अब तो
तेरे हर रंग मे, रंगना…
अच्छा लगता है !
#एहसास_ए_दीपा