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कलाओं को ज़ंग लग गया है
सपने जमे हुए हैं
प्यास सूख गयी है
कब दे पायेगा
मेरे लिए न्याय
सोता हुआ यह समाज!

* विजयराजमल्लिका
‘मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है’ कविता संग्रह से

अनुवाद : डॉ. सुमा एस.

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#सतरंगीवाणी

कलाओं को ज़ंग लग गया है 
सपने जमे हुए हैं 
प्यास सूख गयी है 
कब दे पायेगा 
मेरे लिए न्याय 
सोता हुआ यह समाज!

* विजयराजमल्लिका
‘मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है’ कविता संग्रह से
 
अनुवाद : डॉ. सुमा एस.

#Vani61 #SatrangiVani #LGBTQ+ #Vijayrajmallika…
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जीवन का रंगमच – अमरीश पुरी

यादों को ताज़ा करना एक अनूठा अनुभव होता है। जितना तुम उन्हें कुरेदना चाहते हो उतना वे समुद्र की लौटती लहरों की भाँति लुप्त होती जाती हैं।

सहलेखिका : ज्योति सभरवाल
अनुवाद : नीरू

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यह सुख छोटा नहीं है बन्धु !
अपने आप में बहुत बड़ा है !!
सभी को नसीब नहीं होते ऐसे सुख...
यह भी सबको कहाँ मिलता!
हाँ, यह एक छोटा-सा 'सुख' भी
सभी को नसीब नहीं होता !!

-नागार्जुन
‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’ पुस्तक से

यह सुख छोटा नहीं है बन्धु ! 
अपने आप में बहुत बड़ा है !!
सभी को नसीब नहीं होते ऐसे सुख...
यह भी सबको कहाँ मिलता!
हाँ, यह एक छोटा-सा 'सुख' भी 
सभी को नसीब नहीं होता !!

-नागार्जुन
‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’  पुस्तक से

#Vani61 #AakhirAisaKyaKahDiyaMaine #Nagarjun #Poetry…
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‘मैं कवि हूँ ज़मीन, मिट्टी और मनुष्य का
गाना मेरा धर्म है-इस पृथ्वी, इस आकाश की गाथा।’

-सच्चिदानन्द राउतराय

पुस्तक ‘बसन्त के एकान्त ज़िले में’ से

उड़िया से हिन्दी में अनूदित

(अनुवादक – राजेन्द्र प्रसाद मिश्र)

#Lokodaya_Granthmala

‘मैं कवि हूँ ज़मीन, मिट्टी और मनुष्य का
गाना मेरा धर्म है-इस पृथ्वी, इस आकाश की गाथा।’

-सच्चिदानन्द राउतराय

पुस्तक ‘बसन्त के एकान्त ज़िले में’ से 

उड़िया से हिन्दी में अनूदित 

(अनुवादक – राजेन्द्र प्रसाद मिश्र) 

#Vani61 #बसन्तकेएकान्तज़िलेमें…
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वरिष्ठ पत्रकार, लेखक व अनुवादक अमरेश द्विवेदी की पुस्तक ‘रंग पुटुसिया’ का दूसरा पेपरबैक संस्करण वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।

अमरेश द्विवेदी जी को बहुत-बुहत बधाई!
Amresh Dwivedi
दूसरा पेपरबैक संस्करण पाठकों के बीच जल्द उपलब्ध होगा।

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक व अनुवादक अमरेश द्विवेदी की पुस्तक ‘रंग पुटुसिया’ का दूसरा पेपरबैक संस्करण वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। 

अमरेश द्विवेदी जी को बहुत-बुहत बधाई!
@amresh_dwivedi
दूसरा पेपरबैक संस्करण पाठकों के बीच जल्द उपलब्ध होगा। 

#Vani61 #NewRelease…
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'यथासम्भव' -शरद जोशी

शरद जोशी ने नाचीज़ विषयों से लेकर गम्भीर राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय मसलों तक की बाकायदा ख़बर ली है। रोज़मर्रा के विषयों में उनकी प्रतिक्रिया इतनी सटीक होती है कि पाठक का आन्तरिक भावलोक प्रकाशित हो उठता है।

'यथासम्भव' -शरद जोशी

शरद जोशी ने नाचीज़ विषयों से लेकर गम्भीर राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय मसलों तक की बाकायदा ख़बर ली है। रोज़मर्रा के विषयों में उनकी प्रतिक्रिया इतनी सटीक होती है कि पाठक का आन्तरिक भावलोक प्रकाशित हो उठता है।

#Vani61 #BharatiyaJnanpithBooksatVani #YathaSambhava…
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आँखों से जब
ये ख़्वाब सुनहरे उतर गए हम दिल में अपने
और भी गहरे उतर गए

-कुँअर बेचैन
'आँधियो धीरे चलो'

प्रसिद्ध ग़ज़लकार व गीतकार कुँअर बेचैन की पुण्यतिथि पर सादर नमन!

#पुण्यतिथि 

आँखों से जब
ये ख़्वाब सुनहरे उतर गए हम दिल में अपने
और भी गहरे उतर गए

-कुँअर बेचैन
'आँधियो धीरे चलो'

प्रसिद्ध ग़ज़लकार व गीतकार कुँअर बेचैन की पुण्यतिथि पर सादर नमन!

#Vani61 #AandhiyoDheereChalo #DrKunwarBechain #Ghazal #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani…
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आम आदमी में सबसे ख़ास बात यही है कि वह आम होता है और यह बात आम है। उसकी कोशिश होती है कि वह आम होने से बचा रहे।

-शरद जोशी
'यत्र तत्र सर्वत्र'

आम आदमी में सबसे ख़ास बात यही है कि वह आम होता है और यह बात आम है। उसकी कोशिश होती है कि वह आम होने से बचा रहे।

-शरद जोशी
'यत्र तत्र सर्वत्र' 

#Vani61 #BharatiyaJnanpithBooksatVani #YatraTatraSarvatra #SharadJoshi #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव
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एक थकी हुई
किताब को बन्द कर
उसे मेज़ पर छोड़ते हुए
मैं लौटता हूँ अपनी आत्मा में

- उदय प्रकाश
‘अम्बर में अबाबील’ पुस्तक से

uday prakash

एक थकी हुई 
किताब को बन्द कर
उसे मेज़ पर छोड़ते हुए
मैं लौटता हूँ अपनी आत्मा में

- उदय प्रकाश
‘अम्बर में अबाबील’ पुस्तक से

@iamudayprakash
#Vani61 #AmarUjalaShabdSamman2020 #छापसम्मान #AmbarMeinAbabeel #Poetry #UdayPrakash #VaniAuthor #VanuBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव
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‘इन्क़लाब ज़िन्दाबाद’ - गोपी चन्द नारंग

इतिहास की कोख से ही इतिहास जन्म लेता है, ये भी एक वास्तविकता है कि इतिहास अपनी ग़लतियों को सुधारता और सँवारता भी है और यादों के धरोहर से मदद भी लेता है।

अनुवाद - अय्यूब ख़ाँ

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कोई भी भाषा प्रतीकों की केवल लड़ी या समूह नहीं होती वरन् उसकी व्यवस्था होती है।

-डॉ. कृष्ण कुमार गोस्वामी
‘व्यावहारिक हिन्दी और रचना’ पुस्तक से

वरिष्ठ लेखक, आलोचक, भाषा विज्ञानी डॉ. कृष्ण कुमार गोस्वामी की पुण्यतिथि सादर नमन!

#पुण्यतिथि 

कोई भी भाषा प्रतीकों की केवल लड़ी या समूह नहीं होती वरन् उसकी व्यवस्था होती है।

-डॉ. कृष्ण कुमार गोस्वामी
‘व्यावहारिक हिन्दी और रचना’ पुस्तक से

वरिष्ठ लेखक, आलोचक, भाषा विज्ञानी  डॉ. कृष्ण कुमार गोस्वामी  की पुण्यतिथि सादर नमन!

#Vani61 #DrKrishanKumarGoswami…
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जिस हिन्दी पत्रकारिता ने चेतना का संचार किया वहीं कुछ अंशों में चेतना-हनन का निर्द्वन्द्व माध्यम बन चुकी है।

-डॉ. अर्जुन तिवारी
‘हिन्दी पत्रकारिता का बृहद् इतिहास’ पुस्तक से

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अर्जुन तिवारी की पुण्यतिथि सादर नमन!

#पुण्यतिथि 

जिस हिन्दी पत्रकारिता ने चेतना का संचार किया वहीं कुछ अंशों में चेतना-हनन का निर्द्वन्द्व माध्यम बन चुकी है।

-डॉ. अर्जुन तिवारी
‘हिन्दी पत्रकारिता का बृहद् इतिहास’  पुस्तक से

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अर्जुन तिवारी की पुण्यतिथि सादर नमन!

#Vani61 #ArjunTiwari…
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जी.एस टी.आफिस में केन्द्रीय हिन्दी पुस्तक मेला 2024, प्रयागराज में वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ व यात्रा बुक्स) की पुस्तकें उपलब्ध रहीं।

स्टॉल की कुछ तस्वीरें...

#VaniPrayagraj

जी.एस टी.आफिस में केन्द्रीय हिन्दी पुस्तक मेला 2024, प्रयागराज में वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ व यात्रा बुक्स) की पुस्तकें उपलब्ध रहीं।

स्टॉल की कुछ तस्वीरें...

#Vani61  #VaniBooks #VaniAuthors #VaniReader #अपनीभाषाअपनागौरव
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इतने युग बीत गये। औरत की और उसके कुल की भी इज़्ज़त का पता नहीं बदला! वह उसकी मूक आज्ञाकारिता में ही आज तक निवेशित है, उसके गुड़ियापन में।

-अनामिका
‘स्त्री-विमर्श का लोकपक्ष’ पुस्तक से

Anamika Singh
-विमर्शकालोकपक्ष

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मेरे साथ मेरा अकेलापन हमेशा रहा है, पर यह अकेलापन मुझे जीवन का अर्थ भी समझाता रहा है।

~प्रभा खेतान
‘अन्या से अनन्या'

Prabha Khaitan
Prabha Khaitan Foundation
Sundeep Bhutoria

मेरे साथ मेरा अकेलापन हमेशा रहा है, पर यह अकेलापन मुझे जीवन का अर्थ भी समझाता रहा है।

~प्रभा खेतान
‘अन्या से अनन्या'

@PrabhaKhaitan
@FoundationPK
@sundeepbhutoria
#Vani61 #AnyaSeAnanya #PrabhaKhaitan #VaniBooks #VaniAuthor #Readwithvani #अपनीभाषाअपनागौरव
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राजेश तैलंग शौहरत के हाईवे के राहगीर हैं। ख़ूबसूरत कविताएँ लुटाते आगे बढ़ रहे हैं। ये हाईवे शायद चाँद पर पहुँच कर रुके !
'डीयर राजेश, वहीं चाय पर मिलेंगे।'

- गुलज़ार

धन्यवाद! Ayushmann Khurrana जी

'चाँद पे चाय' ~राजेश तैलंग

Rajesh Tailang ज़िन्दगी गुलज़ार है !

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