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सतलोक में बिना किये सब सुख-सुविधा उपलब्ध है।
जबकि पृथ्वी लोक में बिना कर्म किये कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं होती।
सतज्ञान प्राप्ति के लिए Satlok Ashram Youtube चैनल visit करे।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
सतलोक में बिना किये सब सुख-सुविधा उपलब्ध है।
जबकि पृथ्वी लोक में बिना कर्म किये कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं होती।
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सतलोक कैसा है ?
सतलोक ऐसा अमर लोक है जहां प्रत्येक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है। जहां सिर्फ पूर्ण गुरु द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही जा सकते हैं।
सतज्ञान प्राप्ति के लिए Satlok Ashram Youtube चैनल visit करे।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
सतलोक कैसा है ?
सतलोक ऐसा अमर लोक है जहां प्रत्येक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है। जहां सिर्फ पूर्ण गुरु द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही जा सकते हैं।
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सतलोक में जाने के बाद जीवात्मा का जन्म-मरण हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। लेकिन सतभक्ति के अभाव में पृथ्वी के प्राणी 84 लाख योनियों के चक्कर में भटकते रहते हैं।
सतज्ञान प्राप्ति के लिए Satlok Ashram Youtube चैनल visit करे।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
सतलोक में जाने के बाद जीवात्मा का जन्म-मरण हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। लेकिन सतभक्ति के अभाव में पृथ्वी के प्राणी 84 लाख योनियों के चक्कर में भटकते रहते हैं।
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पृथ्वी लोक में चींटी से लेकर हाथी तक, रंक से लेकर राजा तक कोई सुखी नहीं है।
सतलोक एकमात्र ऐसा स्थान है जहां राग द्वेष नहीं हैं। जहां किसी वस्तु का अभाव नहीं। जहां सभी प्यार से रहते हैं। जहां बारह मास बंसत रहता है।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
पृथ्वी लोक में चींटी से लेकर हाथी तक, रंक से लेकर राजा तक कोई सुखी नहीं है।
सतलोक एकमात्र ऐसा स्थान है जहां राग द्वेष नहीं हैं। जहां किसी वस्तु का अभाव नहीं। जहां सभी प्यार से रहते हैं। जहां बारह मास बंसत रहता है।
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पृथ्वी लोक एक कैद खाना है। जहाँ पर 21 ब्रह्मांड का स्वामी ज्योति निरंजन काल/ब्रह्म आत्माओं को दुःखी करने के लिए 84 लाख योनियों में उत्पन्न करता है।
जबकि सतलोक परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) का लोक है जो अजर अमर अविनाशी लोक है।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
पृथ्वी लोक एक कैद खाना है। जहाँ पर 21 ब्रह्मांड का स्वामी ज्योति निरंजन काल/ब्रह्म आत्माओं को दुःखी करने के लिए 84 लाख योनियों में उत्पन्न करता है। 
जबकि सतलोक परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) का लोक है जो अजर अमर अविनाशी लोक है।
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सतलोक ऐसा अमर लोक है जहाँ एक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है लेकिन उसमें गर्मी नहीं है।
अधिक जानकारी के लिए, देखिये प्रतिदिन साधना TV रात्रि 7:30 से 8:30pm

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
सतलोक ऐसा अमर लोक है जहाँ एक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है लेकिन उसमें गर्मी नहीं है।
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पृथ्वी लोक पर प्रत्येक जीव दुःखी है।
सतलोक सुख का सागर है। वहां दुख नाम की कोई चीज़ नहीं। जन्म-मृत्यु नहीं है। बुढ़ापा नहीं है।
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#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
पृथ्वी लोक पर प्रत्येक जीव दुःखी है।
सतलोक सुख का सागर है। वहां दुख नाम की कोई चीज़ नहीं। जन्म-मृत्यु नहीं है। बुढ़ापा नहीं है।
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पृथ्वी लोक में अपना किया ही जीव भोगता है। सतलोक में कोई अभाव नहीं है। सब परमात्मा के कोटे से मिलता है और इसी वजह से वहाँ राग-द्वेष नहीं है। सब मिलकर प्रेम से रहते हैं और परमात्मा का गुणगान करते हैं।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
पृथ्वी लोक में अपना किया ही जीव भोगता है। सतलोक में कोई अभाव नहीं है। सब परमात्मा के कोटे से मिलता है और इसी वजह से वहाँ राग-द्वेष नहीं है। सब मिलकर प्रेम से रहते हैं और परमात्मा का गुणगान करते हैं।
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परमात्मा कहते हैं -
पृथ्वी ऊपर पग जो धारे, करोड़ जीव एक दिन में मारे।
ये काल का लोक है यहाँ पल भर में न जाने कितने पाप कराता है ये काल।
जबकि सतलोक में कोई पाप/ जीव हिंसा नहीं होती। सतलोक सुख सागर है।

#KaalLok_Vs_Satlok
#WednesdayThoughts
परमात्मा कहते हैं - 
पृथ्वी ऊपर पग जो धारे, करोड़ जीव एक दिन में मारे।
ये काल का लोक है यहाँ पल भर में न जाने कितने पाप कराता है ये काल।
जबकि सतलोक में कोई पाप/ जीव हिंसा नहीं होती। सतलोक सुख सागर है।
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सतलोक में हर हंस आत्मा का अविनाशी शरीर होता है।
जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक में सब कुछ विनाश के अंदर आता है।
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सतलोक में हर हंस आत्मा का अविनाशी शरीर होता है।
जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक में सब कुछ विनाश के अंदर आता है।
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